ग्रीनफील्डस कॉलोनी में चूहा फ्लैटों पर जबरदस्त कार्यवाही के चलते DTP विभाग द्वारा बिल्डिंग संख्या B 920 व C 3609 में बने चूहा फ्लैटों को सील किया गया है । इन अवैध चूहा फ्लेटों को लेकर बिल्डर द्वारा फ्लैट मालिकों के साथ धोखाधड़ी कर गुमराह किया जा रहा था । जिससे इन बिल्डिंग के पीड़ित फ्लैट मालिकों का उत्पीड़न हो रहा था ।
पीड़ित ग्रीनफील्डस रेसीडेंट्स फ्लैट मालिकों से की गई वार्ता :
B 920 के पीड़ित फ्लैट मालिकों ने वार्ता के दौरान बताया कि फ्लैट खरीदने के दौरान बिल्डर ने बताया था कि बिल्डिंग का कुछ कार्य अधूरा है और स्टिल्ट पार्किंग में बने कमरों में कुछ बिल्डिंग का सामान रखा है और जैसे ही कार्य पूर्ण हो जाएगा वह स्टिल्ट पार्किंग से कमरे को तुड़वा कर पार्किंग साफ कर देगा । लेकिन बिल्डर ने धोखाधड़ी व गुमराह कर स्टिल्ट पार्किंग के कमरों को चूहा फ्लैट का रूप देकर अवैध तरीके से बाहरी व्यक्तियों को गैरकानूनी कब्जा करवा दिया । जिससे फ्लैट मालिकों को गाड़ी पार्किंग की गंभीर समस्या बन गयी और बिल्डिंग की सुरक्षा को भी खतरा हो गया । बिल्डर द्वारा इस धोखाधड़ी की शिकायत सभी फ्लैट निवासियों ने मिल कर पुलिस प्रशासन व DTP डिपार्टमेंट में दी थी । जिसके बाद AAA बिल्डर के खिलाफ FIR भी दर्ज की जा चुकी है ।
वहीं C 3609 के निवासियों ने बताया कि फ्लैट खरीद के दौरान उन्होंने स्टिल्ट पार्किंग में बने चूहा फ्लैट कमरों को हटाने के लिए बिल्डर को बोला था जिस पर बिल्डर ने कुछ दिन में हटाने का आश्वासन दिया था लेकिन बिल्डर योगेश कुमार ने इन कमरों में अपने ही कर्मचारियों को अवैध रूप से रुकवा दिया और 4 –5 साल बीत जाने के बाद भी चूहा फ्लैट के कमरों को नहीं तुड़वाया । रोज रोज परेशानी होने पर बिल्डिंग के निवासियों ने मिल कर पुलिस प्रशासन व DTP को शिकायत दी। जिस पर कार्यवाही करते हुए DTP विभाग के द्वारा अवैध चूहा फ्लैट की सीलिंग की गयी है । उक्त कार्यवाहियों के लिए फ्लैट के निवासियों ने आदरणीय डीटीपी साहब व आदरणीय पुलिस प्रशासन का धन्यवाद किया है ।
स्टिल्ट पार्किंग में बने चूहा फ्लैटों की कानूनी स्तिथि जानने के लिये ग्रीनफील्डस कॉलोनी की सबसे प्रमुख RWA आवासीय सुधार मंडल (ASM) के पदाधिकारियों के वार्ता की गई :
वार्ता के दौरान ASM के पदाधिकारियों ने बताया कि कानूनी तौर पर स्टिल्ट पार्किंग common area होता है जोकि किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता है और न ही बिल्डर किसी भी तरह से स्टिल्ट पार्किंग में डरा धमका कर कब्जा कर सकता है । चारों फ्लैट बेचने के बाद बिल्डिंग से बिल्डर का अधिकार खत्म हो जाता है और वह बिना फ्लैट मालिकों की मर्जी के पर्किंग व बिल्डिंग में प्रवेश तक नहीं कर सकता है । माननीय उच्चतम न्यायालय ने 2010 में स्टिल्ट पार्किंग से जुड़े एक केस – नहालचंद ललूचन्द प्राइवेट लिमिटेड बनाम पांचाली को-आपरेटिव हाउज़िंग सोसाइटी लिमिटेड में यह साफ स्पष्ठ किया है कि स्टिल्ट पार्किंग common area है और किसी भी बाहरी व्यक्ति को अलग से नहीं बेचा जा सकता है ।
लेकिन कुछ बिल्डर कच्चे लालच के चलते स्टिल्ट पार्किंग में चूहा फ्लैट बना कर बाहरी व्यक्तियों को अलग से बेच देते हैं या खुद ही कब्जा कर लेते हैं । सस्ते फ्लैट के चक्कर में बाहरी व्यक्ति बिल्डर के झांसे में फस जाते हैं । इससे फ्लैट मालिक, चूहा फ्लैट खरीदने वाले व बिल्डर में टकराव की स्तिथि बन जाती है और माहौल तनावपूर्ण हो जाता है । हरियाणा बिल्डिंग कोड में स्टिल्ट पार्किंग में छोटे servant रूम का प्रावधान है लेकिन वो किसी अन्य बाहरी व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता है और FAR का हिस्सा होता है । वह बिल्डिंग के फ्लैट ओनर्स का ही होता है । बिल्डर इसके लिए फ्लैट बेचते समय रेट बढ़ा कर अधिक रकम वसूल सकता है ।